Movie/Album: आग (1948)
Music By: राम गांगुली
Lyrics By: बहज़ाद लखनवी
Performed By: मुकेश
ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दीया हूँ मगर रोशनी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह...
वो मुद्दतें हुईं हैं किसी से जुदा हुए
लेकिन ये दिल की आग अभी तक बुझी नहीं
ज़िंदा हूँ इस तरह...
आने को आ चुका था किनारा भी सामने
ख़ुद उसके पास ही मेरी नैया गई नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...
होंठों के पास आए हँसी, क्या मजाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...
ये चाँद ये हवा ये फ़ज़ा, सब हैं माज़मा
जब तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं
ज़िन्दा हूँ इस तरह...
ज़िंदा हूँ इस तरह - Zinda Hoon Is Tarah (Mukesh, Aag)
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